घर में जरुरी ये पौधे गमले में लगाकर लाभ उठायें – Useful Plants for Home

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घर पर गमले मे लगाने लायक कुछ पौधे छत या बालकोनी मे जरूर रखने चाहिए । ये पौधे छोटी मोटी शारीरिक समस्या को दूर करने मे बहुत मददगार साबित हो सकते हैं । आइये जाने वो कौनसे पौधे हैं जो घर पर जरूर होने चाहिए । इन पौधों के क्या फायदे हैं । इसके अलावा जरूरत होने पर उनका उपयोग किस परेशानी में तथा कैसे किया जा सकता है ।

घर पर जरुरी पौधे

तुलसी – Holy Basil

जैसा की सभी जानते हैं तुलसी का औषधीय महत्व होने के साथ धार्मिक महत्व भी है । इसे बीज या कटिग द्वारा गमले में  आसानी से लगाया जा सकता है । वैसे तो तुलसी अधिकतर घरों मे होती है लेकिन तुलसी उपयोग कैसे करें यह कुछ ही लोग जानते हैं ।

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तुलसी की गंध से कई प्रकार के बेक्टीरिया , वाइरस आदि नष्ट हो जाते हैं । रोजाना तुलसी का एक पत्ता खाने से कई बीमारियों से बचाव होता है । तुलसी से निकलने वाले तेल की गंध फेफड़ों के लिए अच्छी होती है। थोड़ी देर तुलसी के पास रहने से इसका लाभ मिल सकता है।

तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी जुकाम ठीक हो जाते हैं ।

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जी मिचलाना , उल्टी का सा मन होने पर तुलसी के पत्ते के रस मे थोड़ा सा अदरक का रस और शहद मिलाकर चाटने से तुरंत लाभ होता है ।

निमोनिया , सर्दी जुकाम , कफ , खांसी आदि मे तुलसी के पत्ते , अदरक , काली मिर्च और इलायची का काढ़ा बनाकर पीने से बहुत लाभ होता है ।

गुलबनफशा , मुलैठी और तुलसी का काढ़ा बनाकर पीने से श्वास रोग , अस्थमा , एलर्जी आदि मे लाभ होता है ।

तुलसी डालकर उबाले हुए पानी से घाव को धोने से घाव जल्दी ठीक होता है ।

तुलसी के पत्तों का रस बालों की जड़ मे लगाने से जूं मिट जाती है और जड़ें भी मजबूत होती हैं ।

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नागदौन – Nagdon

नागदौन का पौधा दिखने में हरा भरा और सुन्दर होता है। साथ ही इसके पत्ते का औषधीय उपयोग भी किया जा सकता है। इसकी कटिंग आसानी से गमले में लग जाती है।

नागदौन के पत्ते की तासीर ठंडी होती है अतः इसे काली मिर्च के साथ लेना उचित होता है । इसके एक या दो पत्ते खाने से कब्ज ठीक होती है लेकिन ज्यादा मात्रा मे खाने पर दस्त लग सकते हैं ।

नागदौन के दो पत्ते सुबह खाली पेट काली मिर्च के साथ चबाकर कुछ दिन नियमित खाने से कब्ज मिटती है तथा बवासीर में आराम मिलता है।

नागदौन का पत्ता गरम करके सूजन वाली जगह या फोड़े आदि पर बांधने से सूजन मिट जाती है । फोड़ा बैठ जाता है या फुट कर ठीक हो जाता है ।

पेट मे अल्सर होने पर इसके दो पत्ते काली मिर्च के साथ खाकर ठंडा पानी पीने से अल्सर मे लाभ होता है ।

इसके पत्ते पीस कर पानी मे मिलाकर शर्बत बना कर पीने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब की जलन आदि दूर होती है ।

मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव की समस्या इसके पत्तों के सेवन से कम हो जाती है।

ग्वार पाठा –  Aloe Vera

इसे घृत कुमारी भी कहा जाता है । इसे आसानी से गमले मे लगाया जा सकता है । इसे अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती है । ग्वारपाठे का जेल बहुत लाभदायक होता है ।

ग्वार पाठे का गूदा चेहरे पर लगाने से झुर्रियां नहीं होती , पिंपल्स दूर होते हैं , सनबर्न दूर होता है तथा रंगत निखरती है ।

इसका यह जेल बालों मे लगाने से रूसी ( dandruff ) दूर होती है।

खाना बनाते समय गरम तेल के छींटे लग जाए , तवा अथवा अन्य कोई गर्म बर्तन लग जाए तो तुरंत एलोवेरा जेल लगाने से फफोले से बचाव होता है , दाग रहने की संभावना कम हो जाती है तथा जलन दूर होती है ।

एलोवेरा का गूदा सरसों के तेल मे मिलाकर जोड़ों की मालिश करने से जोड़ों का दर्द दूर होता है ।

कुछ लोग दानामेथी और किशमिश डालकर इसकी सब्जी बनाकर खाते हैं जो बहुत स्वादिष्ट होती है।

गुड़हल – Hibiscus

गुड़हल वैसे तो जमीन मे लगना चाहिए लेकिन इसे एक बड़े गमले मे घर मे भी लगाया जा सकता है । इसे अच्छी धूप की जरूरत होती है । इसके सुंदर फूल खाये भी जा सकते हैं लेकिन वो हाइब्रिड नहीं होने चाहिए ।

इसकी पत्तियाँ बालों के लिए बहुत लाभदायक होती हैं । गुड़हल की पत्तियाँ नारियल या सरसों के तेल मे पकाकर लगाने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं ।

गुड़हल का फूल खाने से ल्यूकोरिया , प्रमेह , कमजोरी आदि दूर होते हैं ।

कालमेघ – Kalmegh

कालमेघ के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीने से बुखार ठीक होता है । इसका स्वाद बहुत कड़वा होता है । यह रक्त शोधक होता है । इसके पंचांग को सुखाकर काढ़ा बनाकर पीने से जीर्ण ज्वर मे आराम आ सकता है ।

कालमेघ की पत्तियाँ , मुलेठी और भूमि आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से बुखार के बाद कमजोर हुआ लीवर तथा आंतों का संक्रमण ठीक हो जाता है ।

कब्ज के लिए आंवला चूर्ण , मुलेठी और कालमेघ का काढ़ा पीने से पुरानी कब्ज भी ठीक हो जाती है ।

पत्थर चट्टा ( जख्मे हयात ) – Goethe Plant

इसे गमले में लगाना आसान होता है। दिखने में भी यह अच्छा लगता है।

पत्थरचट्टा के पत्ते का सेवन पथरी को दूर कर सकता है । गुर्दे की और गाल ब्लेडर की छोटी पथरी की समस्या इसके पत्तों के नियमित सेवन से दूर हो सकती है ।

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मधुमक्खी या अन्य कीट काट ले तो इसके पत्ते पीस कर लगाने से आराम मिलता है ।

पत्थर चट्टा के पत्ते पीस कर फोड़े या घाव आदि पर लगाने से घाव , सूजन और गांठ आदि ठीक होते हैं।

मीठा नीम – Curry Leaves

मीठा नीम या कढ़ी पत्ता एक जाना पहचाना नाम बन चूका है। कई घर और गमलों की यह शोभा बढ़ा रहा है। इसमे पाये जाने वाले पोषक तत्व बहुत फायदेमंद होते हैं ।

कढ़ी पत्ता कई प्रकार की डिश बनाते समय डाला जाता है । यह भोजन में स्वाद और सुगंध के साथ पोषण भी प्रदान करता है। साथ ही कई होम रेमेडीज़ में यह काम आता है।

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मीठे नीम की ताजा पत्तियाँ पीस कर चेहरे पर लगाने से झाइयाँ , पिंपल्स , फोड़े फुंसी आदि दूर होते हैं ।

कढ़ी पत्ता पीस कर पानी मे उबाल लें इससे बाल धोने से बाल रेशमी और मुलायम हो जाते हैं । मीठा नीम पीस कर चेहरे पर लगाने से मुहासे झाइयाँ आदि ठीक होते हैं ।

कढ़ी पत्ता पानी मे उबाल कर छान कर पीने से पेट मे दर्द , गैस , अफ़ारा आदि ठीक होते हैं । पाचन सुधरता है , भूख खुलती है । 2 -3 पत्ते पीस कर पानी के साथ सुबह खाली पेट लेने से पेट के कीड़े मिटते हैं ।

इसके ताजा पत्ते का रस तीन चम्मच एक कप पानी मे मिलाकर सुबह शाम पीने से एसिडिटि ठीक होती है , पेट के अल्सर मे आराम मिलता है ।

गिलोय – Guduchi

गिलोय बहुत प्रसिद्ध बेल हो गई है विशेषकर कोरोना के बाद । गिलोय की बेल बड़ी आसानी से घर मे लगाई जा सकती है। इसकी दस बारह इंच की कटिंग लेकर गमले मे लगा दें और पानी देते रहें । कुछ ही दिनों मे पत्ते फूट कर बेल चलने लगती है । गिलोय की डंडी ( तना ) का उपयोग औषधि के रूप में होता है।

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गिलोय बुखार मे बहुत असरकारी होती है । वाइरल , मलेरिया , चिकनगुनिया , टाइफ़ाइड , डेंगू आदि किसी भी बुखार मे Giloy से लाभ होता है ।

यह शरीर के दर्द को दूर करती है तथा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है ।

प्लेटलेट्स कम होने पर Giloy ka ras और पपीते के पत्ते का रस मिलाकर लेने से जल्दी लाभ होता है ।

यह लिवर को ताकत देती है । पीलिया रोग मे भी इसके सेवन से लाभ होता है । इसके अलावा यह पाचन तंत्र को फायदा पहुंचाती है ।

पौधिना – Mint

पौधिना आसानी से गमले मे लगाया जा सकता है । बाजार मे जड़ सहित मिल जाए तो लाकर गमले मे लगा लेना चाहिए । एक बार लगने के बाद यह फैलता जाता है। इसकी गंध मक्खी मच्छर आदि को दूर रखती है ।

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पौधिना के पत्ते सुखाकर रखे जा सकते हैं , जिन्हे रायता या अन्य डिश में डाला जा सकता है।

पौधिने मे कई प्रकार के विटामिन और खनिज होते हैं । यह पाचन के लिए बहुत अच्छा होता है । इसकी चटनी का सेवन गर्मी के मौसम मे जरूर करना चाहिए ।

पौधिने की चाय बना कर पीने से पेट की खराबी मे आराम मिलता है ।

यह साँसों की बदबू दूर करता है । गर्मी मे इसका उपयोग शरीर जो ठंडक पहुंचाता है । यह शिकंजी या केरी के पने का स्वाद और लाभ बढ़ा देता है ।

अपराजिता – Aparajita

अपराजिता की बेल घर मे आसानी से लगाई जा सकती है । यह सफ़ेद फूल और नीले फूल मे उपलब्ध होती है । सफ़ेद फूल वाली अपराजिता की बेल अधिक कारगर होती है ।

अपराजिता की जड़ का रस नाक मे डालने से माइग्रेन दूर होता है ।

अपराजिता की जड़ , काली मिर्च और तुलसी का काढ़ा खांसी दूर करता है ।

इसके पत्तों को पानी मे उबाल कर गरारे करने से गले के टॉन्सिल और अन्य परेशानियों मे आराम मिलता है ।

अपराजिता की जड़ का चूर्ण गरम पानी के साथ लेने से गठिया रोग मे आराम मिलता है ।

वैसे तो लाभदायक जड़ी बूटी जैसे अन्य कई और भी पौधे हैं जो गमले में लगाए जा सकते हैं। किसी दूसरी पोस्ट में इस बारे में आपको वो जानकारी भी मिल जाएगी।

अस्वीकरण : इस पोस्ट का उद्देश्य जानकारी देना मात्र है । किसी भी उपचार के लिए चिकित्सक की सलाह अवश्य लें ।

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