वारंटी की अवधि Warranty time limit मे यदि आपके द्वारा खरीदा गया प्रॉडक्ट काम करना बंद कर देता है या उसमे कोई समस्या आने लगती है तब प्रॉडक्ट खरीदते समय आपको मिली वारंटी आपके बहुत काम आती है । वारंटी क्या होती है , इसका लाभ लेने के लिए आपको क्या ध्यान रखना चाहिए , यदि वारंटी होते हुए भी आपकी समस्या दूर नहीं होती तो क्या करें , आइए जानते हैं इन सबके बारे में ।
वारंटी क्या होती है
What is Warranty
सामान्य रूप से किसी प्रॉडक्ट पर वारंटी दी जा रही है तो इसका का मतलब है कि यदि Warranty period में प्रॉडक्ट के उपयोग मे निर्माण संबंधी किसी भी प्रकार की परेशानी आती है तो निर्माता या विक्रेता उसे सही करके देंगे । इसके लिए पैसे नहीं लिए जायेंगे । वारंटी मे प्रॉडक्ट को ठीक करने की ज़िम्मेदारी होती है । उसे बदल कर दूसरा देने की नहीं ।
किसी कंपनी द्वारा गारंटी या वारंटी देने का मतलब है कि कंपनी को अपने प्रॉडक्ट पर पूरा भरोसा है कि Warranty period तक उसमें कोई समस्या नहीं आएगी । इसी भरोसे के साथ उपभोक्ता भी वो सामान खरीदता है । हम अक्सर गारंटी वारंटी वाले प्रॉडक्ट खरीदना पसंद करते हैं ।
Warranty हर कंपनी खुद की समझबूझ से देती हैं । ये कितने टाइम की होती है या किन चीजों के लिए होती है यह अलग प्रॉडक्ट और अलग कंपनी के अनुसार अलग अलग होती है ।
वारंटी होने से उपभोक्ता नए खरीदे गए प्रॉडक्ट मे अचानक आई खराबी के लिए परेशान होने या अतिरिक्त पैसा खर्च करने से बच जाता है । Warranty सिर्फ प्रॉडक्ट मे कोई कमी हो तो उसके लिए होती है । एक्सीडेंटल डेमेज या मिस यूज के लिए नहीं ।
गारंटी क्या होती है
What is Guarantee
गारंटी का मतलब है कि कंपनी को अपने प्रॉडक्ट पर इतना अधिक विश्वास होता है कि वो प्रॉडक्ट रिपेयर करने के साथ उसे बदल देने का भी वादा करती हैं । कंपनी पहले रिपेयर करने की कोशिश करती है , अगर ठीक न हो पाये तो उसे बिना कोई पैसे लिए रिप्लेस करके देती है ।
वारंटी और गारंटी मे फर्क होता है । आजकल लगभग सभी कंपनीGuarantee की बजाय Warranty ही देना पसंद करती हैं ।
वारंटी और गारंटी मे अंतर
Difference between Warranty and Guarantee
- Warranty का मतलब है रिपेयर करने का वादा लेकिन बदल कर दूसरा नया देने का नहीं । गारंटी का मतलब रिपेयर की कोशिश ना हो पाये तो प्रॉडक्ट का बदला जाना ।
- वारंटी अधिकतर मेकेनिकल उत्पाद पर आती है जैसे फ्रिज , वॉशिंग मशीन , मिक्सी आदि । इनकी मोटर पर Warranty अधिक समय की आती है । भारी एंजिनीरिंग सामान आदि पर गारंटी होती है ।
- वारंटी मे पैसे रिफ़ंड नहीं होते । गारंटी मे रिपलेसमेंट होता है या फिर पैसे वापस होते हैं ।
- हो सकता है कि प्रॉडक्ट के कुछ पार्ट्स Warranty मे नहीं आते हों । उनके लिए पैसे देने पड़ सकते हैं । गारंटी पूर्णतया फ्री होती है । यह भी हो सकता है कि प्रॉडक्ट के कुछ पार्ट्स के लिए गारंटी हो और बाकी पार्ट्स वारंटी मे आते हों ।
- कुछ कंपनी Warranty अतिरिक्त पैसे लेकर एक्सटेंड करके की सुविधा देती हैं । गारंटी मे ऐसा नहीं होता है ।
- वारंटी के लिए सिर्फ बिल की कॉपी भी पर्याप्त होती है । गारंटी के लिए गारंटी कार्ड जरूरी होता है ।
एक्सटेंडेड वारंटी
Extended Warrantee
कुछ कंपनी अतिरिक्त पैसे लेकर वारंटी की अवधि बढ़ाने की सुविधा देती है । यदि आपको उचित लगता है तो आप इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं । यह पैसा प्रॉडक्ट की कीमत का लगभग एक प्रतिशत के बराबर होता है । जो ज्यादा नहीं है । लेकिन इससे आपको लंबे समय तक सुरक्षा मिल जाती है ।
Warranty Extend कराते समय सावधान रहना चाहिए क्योंकि इसकी शर्तें कुछ अलग हो सकती हैं । हो सकता है कि Extended Warranty मे कुछ पार्ट पहले वाली लिस्ट से हटा दिये गए हों ।
कभी कभी Extended Warranty का यह खर्चा बेकार भी हो जाता है । कभी लंबे समय बाद बिल आदि ढूँढना मुश्किल हो जाता है । ऐसे मे Benefit of extended warranty नहीं मिल पाता ।
वारंटी की शर्तें
Terms and conditions of warranty
कंपनी जब वारंटी देती है तो उसकी कुछ शर्तें भी होती हैं । जिनका पालन उपभोक्ता को करना होता है अन्यथा वारंटी लागू नहीं होती हैं । ये शर्तें लिखित मे होती हैं । इन्हे ध्यान पूर्वक पढ़ और समझ लेना चाहिए ।
सामान्य रूप से Warranty Paper मे ये बातें होती हैं –
- वारंटी की अवधि ।
- यदि प्रॉडक्ट खराब हो जाए या सही से काम ना करे तो विक्रेता की क्या ज़िम्मेदारी होगी ।
- किस प्रकार की समस्याओं के लिए या कौनसे पार्ट्स के लिए Warranty दी जा रही है ।
- उपभोक्ता को प्रॉडक्ट काम मे लेते समय किन बातों का ध्यान रखना होगा ।
- उपभोक्ता को क्या नहीं करना चाहिए ।
- प्रॉडक्ट के काम ना कर पाने की वजह से आपको यदि कोई नुकसान होता है तो वो Warranty मे शामिल होगा या नहीं ।
इनके अलावा कुछ अन्य शर्तें या परिस्थिति भी हो सकती हैं जैसे –
Warranty Card मे विक्रेता के साइन और स्टेम्प होने चाहिए । कार्ड मे प्रॉडक्ट के सिरियल नंबर आदि भी सही से भरे होने चाहिए । यह आपको चेक कर लेना चाहिए ।
कुछ कंपनी Warranty activate करने के लिए प्रॉडक्ट की खरीद को नियत समय में ऑनलाइन अथवा अन्य रूप मे रजिस्टर करवाने कि शर्त रखती हैं । ऐसा है तो चेक कर लेना चाहिए और प्रॉडक्ट रजिस्टर करवा लेना चाहिए ।
हो सकता है कि आपने विदेश से कोई प्रॉडक्ट खरीदा है लेकिन उसकी वारंटी हमारे देश मे लागू नहीं होती हो । हालांकि कुछ कंपनी Global Warranty देती हैं । यह मालूम कर लेना चाहिए ।
कुछ कंपनी सिर्फ पार्ट्स की वारंटी देती हैं । पार्ट्स नए डालने पर लेबर चार्ज वसूल किया जा सकता है ।
अधिकतर प्रोडक्टस में प्लास्टिक या रबर से बने पार्ट्स Warranty मे नहीं आते हैं ।
स्मार्ट फोन की स्क्रीन का टूट जाना Warranty मे शामिल नहीं किया जाता ।
यदि Warranty terms and conditions में लिखा हो कि प्रॉडक्ट सिर्फ कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर पर ही रिपेयर के लिए आना चाहिए तो खुद के जानकार या अन्य टेक्निशियन से प्रोडक्ट को रिपेयर करवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए ।
Warranty time limit दिखाने के लिए बिल या Warranty paper की जरूरत होती है अतः बिल की कॉपी हमेशा संभाल कर रखनी चाहिए ।
कभी कभी प्रॉडक्ट के किसी एक हिस्से की Warranty लंबे समय तक की हो सकती है जबकि उसी प्रॉडक्ट के अन्य पार्ट की वारंटी नहीं होती है ।
वारंटी है तो आप क्या कर सकते हैं
यदि आप पूरी तरह से प्रॉडक्ट रिपेयर करवाने या बदलवाने के अधिकृत हैं और फिर भी कंपनी जानबूझकर टालमटोल कर रही हो तो आप कंज्यूमर कोर्ट जा सकते हैं । हालांकि आपको इसके लिए पूरी कागजी कार्यवाही के साथ तैयार होना होगा ।
यदि वारंटी की अवधि मे प्रॉडक्ट काम नहीं करता तो क्या करें –
- सबसे पहले प्रॉडक्ट तथा वारंटी से संबन्धित निर्देश और शर्तों को ध्यान से पढ़ लेना चाहिए । कभी कभी प्रॉडक्ट को गलत तरीके से काम लेने के कारण वो खराब हो जाता है । अतः यह जानना जरूरी होता है कि कहीं आपसे तो कोई चूक नहीं हुई है ।
- आपकी कोई गलती नहीं है तो आपको विक्रेता से संपर्क करना चाहिए । यदि वो आपकी समस्या दूर कर देता है तो यह सबसे अच्छा है ।
- यदि आपकी समस्या दूर नहीं होती है तो आप कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के अंतर्गत कार्यवाही कर सकते हैं । यह कानून उपभोक्ता की शिकायत दूर करने तथा विक्रेता द्वारा शोषण से बचाने के उद्देश्य से ही बनाया गया है । इसके लिए सरकारी वेब साइट https://consumerhelpline.gov.in/ पर संपर्क किया जा सकता है।
- उपभोक्ता के संरक्षण और उसकी सुरक्षा के लिए जिला , स्टेट तथा नेशनल कमीशन स्थापित किए गए हैं । जहां अन्य जानकारी प्राप्त की जा सकती है । NCDRC ( National Consumer dispute redressal commission ) इसके लिए शीर्ष इकाई है । यहीं से पूरा एड्मिनिसट्रेशन का काम भी देखा जाता है । इसकी जानकारी के लिए ncdrc.nic.in वेब साइट देखें।
Reference:
अस्वीकरण : इस लेख का उद्देश्य जानकारी देना मात्र है। किसी भी कानूनी कार्यवाही के लिए एक्सपर्ट की मदद अवश्य लें।
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