योगासन शुरू करने के लिए पहले आसानी से किये जा सकने वाले आसन करने चाहिए ताकि शरीर अनुकूल हो जाएँ। बाद में यदि चाहें तो अन्य आसान भी किये जा सकते हैं। कुछ लोग बिना सोचे समझे योगासन शुरू करके खुद को चोट पहुंचा लेते हैं और फायदे की जगह अपना नुकसान कर बैठते हैं।
योगासन शुरू करने से पहले कुछ जानकारी अवश्य ले लेनी चाहिए ताकि नुकसान ना हो। आइये जाने योगासन शुरू करने से पहले कौनसी बातों का ध्यान रखना चाहिए और शुरुआत कैसे करनी चाहिए।
योगासन शुरू करने से पहले क्या ध्यान रखें
यदि आप स्वस्थ हैं तो ठीक है लेकिन यदि किसी शारीरिक समस्या , चोट अथवा बीमारी से ग्रस्त हैं तो कुछ आसन या प्राणायाम करना खतरनाक हो सकता है। ऐसे में योग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद ही आसन करने चाहिए।
शुरू में जितना आसानी से कर पायें उतना ही करना चाहिए। किसी को देखकर ठीक उसके जैसा करने की कोशिश में अधिक जोर ना लगायें। अपनी शारीरिक स्थिति और सीमा तक ही करें। नियमित अभ्यास से धीरे धीरे निपुणता हासिल होती जाती है। कुछ समय जरुर लगता है लेकिन परिणाम हासिल जरुर होते हैं अतः धैर्य न खोये और नियमित रहें।
योग करते समय कपड़े ऐसे हो जिनमे आप शरीर को जैसे चाहें घुमा फिरा सकें। टाइट कपड़े ना पहने। हो सके तो योग के लिए मेट खरीद लें। दरी पर चद्दर बिछा कर भी योगासन किये जा सकते हैं।
सांसों पर भी ध्यान जरुर दें। कब साँस लेनी है और कब छोडनी है इसका ज्ञान जरुरी होता है , अतः इसका अभ्यास शुरू से ही रखें।
आसन करते समय यदि जोड़ों या मसल्स में तेज दर्द हो अथवा प्राणायाम करने से सिरदर्द आदि महसूस हो तो योग विशेषज्ञ की सलाह जरुर ले लेनी चाहिए।
योगासन की अवस्था अनेक होती हैं लेकिन शुरू करने के लिए दस बारह योगासन पर्याप्त होते हैं। इन्हें नियमित करके भी स्वस्थ रहा जा सकता है। ये आसन इस प्रकार हैं –
शुरू के लिए सरल और प्रभावकारी योगासन
1. ताड़ासन – Palmtree pose
इस आसन में सीधे खड़े होकर शरीर को खींचा जाता है। यह सरल आसन एक प्रकार से वार्म अप की तरह भी काम करता है। सबसे पहले यह आसन कर लेना चाहिए। इससे पूरे शरीर में खिंचाव होता है।
यह आसन शरीर के हर अंग को यह लाभ पहुंचाता है। पोस्चर सुधारता है , छाती खोलता है। रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा करता है। जांघ , नितम्ब और पैरों की मांसपेशियों में लचीलापन पैदा करता है। सायटिका में लाभ पहुंचाता है। चेहरे पर कांति लाता है।
बालक बालिकाओं की लंबाई बढ़ाने में यह आसन सहायक होता है। मेरुदण्ड के लिए भी लाभदायक है। एकाग्रता के लिए अच्छा अभ्यास है।
2. मर्जरी आसन – Cat pose
इस आसन में बिल्ली जैसी आकृति बनती है। संस्कृत में बिल्ली को मर्जरी कहा जाता है। इसलिए अंग्रेजी भाषा में इसे कैट पोज कहते हैं।
इसे करने से कंधे , कलाई , रीढ़ की हड्डी की क्षमता बढती है। पाचन क्रिया सुधरती है। यह पेट को सुडौल बनाता है। रक्त का प्रवाह बढाता है। मन को शांत करता है।
3. बितिलासन – Cow pose
यह मर्जरी आसन के साथ किया जाता है। यह आसन करते समय गाय जैसी आकृति बनती है। संस्कृत में बितिला का अर्थ गाय होता है। अंग्रेजी में इसे काऊ पोज़ कहते हैं।
इसे करने से मानसिक समस्या , तनाव आदि से छुटकारा मिलता है। पीठ दर्द कम होता है। सायटिका में आराम आता है। यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। इसे करने से आतंरिक अंगों की मालिश होती है। रक्त का प्रवाह सुधरता है। गर्दन लचीली बनती है।
4. त्रिकोणासन – Triangle pose
यह भी एक आसान और लाभदायक आसन है। इसमें शरीर को बाएं और दायें तरह झुका का खिंचाव पैदा किया जाता है।
यह आसन पैरों, घुटनों, एड़ियों, हाथों और वक्ष को मजबूत बनाता है। नितम्ब, कूल्हे, जांघ की मांसपेशियों तथा कंधे , वक्ष और रीढ़ की हड्डी में खुलाव व खिंचाव उत्पन्न करता है। पाचन क्रिया में सहायता करता है एवं उसे सक्रिय बनाता है। तनाव, चिंता, पीठ के दर्द और सायटिका के कष्टों को यह दूर करता है।
5. भुजंगासन – Cobra pose
लेट कर किये जाने वाले आसन में भुजंगासन अत्यंत लाभदायक और आसान होता है। यह कंधे , पेट , पीठ और गर्दन के लिए बहुत अच्छा होता है। थकान और तनाव दूर करता है। श्वास सम्बन्धी रोगों के लिए यह फायदेमंद है।
6. सेतुबंध आसन – Bridge pose
यह जितना आसान है उतना ही लाभदायक भी है। पीठ , छाती , गर्दन में खिंचाव लाता है। तनाव कम करता है। फेफड़ों को खोलता है। पाचन क्रिया ठीक करता है। उच्च रक्त चाप , थायराइड अस्थमा साइनस के लिए फायदेमंद है।
7. वृक्षासन – Tree pose
वृक्षासन का अर्थ है वृक्ष के समान मुद्रा। इस आसन को खड़े होकर किया जाता है यह आसन शारीरिक अंगों में संतुलन के लिए बहुत लाभदायक है। इसे करने से शारीरिक तनाव दूर होता है। पैरों और टखनों में लचीएलपन आता है। नितम्ब और घुटने का तनाव दूर होता है।
8.उत्तानपादासन – Raised leg pose
यह लेट कर किया जाने वाला आसन है। सिर्फ दोनों पैरों को थोड़ा सा ऊपर उठाया जाता है। यह आसन पेट की चर्बी को कम करता है। पाचन क्रिया ठीक रखता है। नाभि को अपनी जगह संतुलित रखता है। क़ब्ज़ में बहुत लाभदायक है। शुगर के रोगियों के लिए फायदेमंद है।
9. विपरीत करनी – Legs up the wall pose
यह खेल खेल में अक्सर बच्चे करते नजर आते हैं। इसमें लेट कर दीवार के सहारे पैरों को छत की तरफ सीधा किया जाता है। यह आसन पैरों की थकान और दर्द मिटाने में उपयोगी होता है। इसे करने से अनिद्रा दूर होती है , मानसिक तनाव कम होता है , रक्त प्रवाह सुधरता है , गर्दन और कंधो को आराम मिलता है।
10. शशांक आसन – Rabbit pose
इस आसन को करते समय खरगोश जैसी आकृति बनती है इसलिए इसे शशांक आसन कहा जाता है।
यह आसन पढाई करने वालों के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे दिमाग में रक्त प्रवाह सुधारता है। यह स्मरण शक्ति तेज करता है।
इसके अलावा यह पाचन शक्ति बढ़ाता है। लीवर , किडनी और पेन्क्रियास को लाभ पहुंचाता है। पेट कमर और नितम्ब की चर्बी कम करता है। इसे करने से टेंशन , गुस्सा , चिड़चिड़ापन तथा मानसिक रोग दूर होते हैं। यह ह्रदय के लिए भी लाभकारी होता है।
11. पवन मुक्तासन – Gas release pose
यह लेट कर किया जाने वाला आसन है। इस आसन को करने से दूषित वायु शरीर से मुक्त हो जाती है । इसी कारण इसे पवन मुक्तासन कहते हैं।
यह क़ब्ज़ में तथा वायु विकार में चमत्कारिक लाभ देता है । पाचन तंत्र को मजबूत करता है । पेट की चर्बी को कम करता है । घुटनो को लाभ पहुंचाता है । यह आसन स्त्री रोगों में फायदेमंद होता है ।
12. गोमुखासन – Cow face pose
यह आसन करने में बहुत ही सरल है और यह हर उम्र की महिलाओं के लिए विशेष फायदेमंद होता हैं। इस आसन को करने से गाय में मुँह जैसी आकृति बनती है । इसलिए इसे गोमुखासन कहते हैं ।
यह अस्थमा , अर्थराइटिस , ब्लड प्रेशर आदि समस्या में लाभप्रद होता है। शरीर का पोश्चर सुधारता है , बाहों और कन्धों को मजबूत करता है तथा कमर दर्द को कम करता है।
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