कम्प्यूटर विज़न सिंड्रोम से कैसे बचें – Beware of Computer vision syndrom

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कम्प्यूटर विज़न सिंड्रोम  Computer vision syndrom आँखों में होने वाली परेशानी है। लगातार कम्प्यूटर , लैपटॉप या मोबाइल पर काम करने के कारण आँखों व शरीर को नुकसान पहुंचता है।

बिना आँखों को आराम दिए लगातार लंबे समय तक स्क्रीन पर आँखें गढ़ा कर काम करने से ऑंखें ख़राब हो सकती है।सामान्य तौर पर एक मिनट में 15 -18 बार पलक झपकती है। स्क्रीन देखते समय पलक इसकी आधी बार ही झपक पाती है।

इस वजह से आँखों की नमी सूख जाती है। ऑंखें भारी-भारी लगने लगती है। आंख में पानी कम हो जाता है। आँखों की नमी सूख जाती है। आँखों में जलन , लाली व खुजली हो सकती है ,आँखों से धुंधला दिखने लगता है। ऑंखें थक जाती है और दर्द करने लगती है।

सिरदर्द होने लगता है। गर्दन और पीठ में दर्द भी हो सकता है। इसी को कम्प्यूटर विज़न सिंड्रोम कहते है , लगभग बीस प्रतिशत लोग इससे ग्रसित है। इससे सावधान रहना चाहिए।

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कम्प्यूटर विज़न सिंड्रोम के कारण

Reasons for computer vision syndrome

—  डिजिटल डिवाइस पर काम करते वक्त पलकें का झपकना सामान्य से लगभग आधा रह जाता है।

—  डिजिटल स्क्रीन हजारो पिक्स़ल से बना होने के कारण आँखों में तनाव और थकान पैदा करती है।

—  छोटे फॉन्ट व इमेज से भी ऑंखें जल्दी थक जाती है।

—  आँखों से स्क्रीन की कम या ज्यादा दूरी से आँखों पर तनाव।

—  सही बॉडी पोस्चर नहीं रखने पर गर्दन व कमर में दर्द की शिकायत पैदा हो जाती है।

कम्प्यूटर विज़न सिंड्रोम से कैसे बचें – solution  

—  अपनी आँखें डॉक्टर से हर 6 महीने में चेक करानी चाहिए यदि प्रॉब्लम हो तो सतर्क हो जाना चाहिए।

—  कमरे की लाइट और स्क्रीन की लाइट आरामदायक होनी चाहिए। कमरे और स्क्रीन में लगभग समान रोशनी होनी चाहिए। यदि स्क्रीन से कमरे में रोशनी हो रही है तो स्क्रीन की ब्राइटनेस कम करनी चाहिए। और स्क्रीन में अंधेरा जैसा दिखे तो ब्राइटनेस बढ़ानी चाहिए।

—  कंप्यूटर मॉनिटर पर एंटी ग्लेयर स्क्रीन लगवाना चाहिए और कमरे में भी हो सके तो मैट फिनिश वाला डार्क कलर करवाना चाहिए।

—   पुराने CRT मॉनिटर की बजाय LCD टाइप मॉनिटर पर काम करना चाहिए । इसमें भी बड़ी स्क्रीन लेना ठीक रहता है। 19 इंच वाली LCD  टाइप स्क्रीन अच्छी रहती है।

—  पलकें झपकाने से आँखों में नमी बनी रहती है जिसकी कमी से दिक्कत हो सकती है। इसलिए कम्प्यूटर पर काम करते समय पलकें झपकें इसका ध्यान रखना चाहिए या नमी बनाए रखने के लिए डॉक्टर से पूछकर आई ड्रॉप्स डालनी चाहिए।

—  हर आधे घंटे बाद डिजिटल स्क्रीन से आँखे हटाकर एक मिनट तक कही दूर देखना चाहिए।

—  बॉडी पोश्चर सही रखना चाहिए।

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—  कम्प्यूटर से हर एक घंटे में पाँच मिनट का ब्रेक लेना चाहिए । ब्रेक के वक्त हाथ , गर्दन , कंधे व पीठ को थोड़ा स्ट्रेच करके थकान मिटा लेनी चाहिए। किसी फिजीओथेरेपिस्ट से सलाह करके थकान मिटाने वाली एक्सरसाइज सीख लेनी चाहिए।

—  यदि नंबर वाला चश्मा पहनते है तो कंप्यूटर पर काम करने के लिए अलग चश्मा बनवा लेना चाहिए।  क्योंकि नंबर वाला पास का या दूर चश्मा या प्रोग्रेसिव ग्लास वाला चश्मा कम्प्यूटर के लिए उपयुक्त नहीं होता है।

चश्मा बनवाते समय लेंस कैसा लेना चाहिए इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

—  जहाँ तक हो सके फॉन्ट साइज़ बड़ा रखना चाहिए।

—  स्क्रीन को पर्याप्त दूरी पर रखना चाहिए। लगभग 20 से 26 इंच की दूरी होनी चाहिए।

—  पानी व तरल पदार्थ ज्यादा लेने चाहिए।

—  पोष्टिक डाइट जिसमे विटामिन A भरपूर हो लें। सूखे मेवे जैसे बादाम , अखरोट आदि खाएं। गाजर , पपीता , आम आदि में भी विटामिन A की मात्रा पर्याप्त होती है , इनका सेवन करें।

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