शिशु का विकास प्राकृतिक व्यवस्था का एक सुखद अहसास होता है। पल पल गुजरते दिन और सप्ताह के साथ शिशु में एक अलग विकास होता हुआ दिखाई पड़ता है। जैसे स्तनपान करना , देखना , सुनना , हाथ पैर मारना , आवाज की प्रतिक्रिया देना , मुस्कराना आदि।
माता पिता तथा घर के अन्य सदस्य उसमे आये हर बदलाव और उसकी प्रत्येक हरकत के प्रति बहुत उत्साहित रहते हैं और उसकी गतिविधियों को देखकर खुश होते हैं।
नए बने पेरेंट्स को यह चिंता भी रहती है कि शिशु का विकास महीने दर महीने जैसा होना चाहिए वैसा हो रहा है या नहीं। सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते और विकास में भी कुछ अंतर होना स्वाभाविक सी बात है। नए बने माता पिता को थोड़ा धीरज रखते हुए शिशु के विकास पर नजर रखनी चाहिये।
जब शिशु जन्म लेता है तब कुछ चीजें उसमे पूर्ण रूप से विकसित होती हैं और कुछ चीजें वह धीरे धीरे सीखता है। आइये जानते हैं कि महीने दर महीने बच्चे को क्या सीख जाना चाहिए या उसे किस प्रकार की गतिविधि करनी चाहिए ताकि माता पिता निश्चिन्त हो सके कि बेबी का विकास सही तरीके से हो रहा है।
जन्म लेने के तुरंत बाद शिशु कुछ जन्मजात स्वाभाविक क्रियाएँ करता है । इन्हे innate reflexes के नाम से जाना जाता है। ये क्रियाएं शिशु का सामान्य होना दर्शाता है। इनमे से कुछ गतिविधि इस प्रकार हैं –
— शिशु के होठों को किनारे पर छूने से वह सिर को उस तरफ घुमा लेता है और मुँह खोल लेता है । यह क्रिया उसे स्तन से दूध पीने में मदद करती है।
— मुँह में निपल आने पर शिशु उसे चूसना शुरू कर देता है। इसी विशेषता के कारण शिशु अपना हाथ भी चूसना शुरू कर देता है। यह विशेषता गर्भ में 32 से 36 सप्ताह में पैदा होती है। अतः समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु में इसकी कमी हो सकती है।
— शिशु की हथेली पर छूने पर वह मुट्ठी बंद कर लेता है। जो भी चीज हाथ में आ जाये उसे पकड़ सकता है पर उसे मुट्ठी खोलना नहीं आता।
इसके अलावा जन्म के साथ ही उसे स्वाद का पता चलता है। माँ का मीठा दूध उसे पसंद आता है। वह गंध महसूस कर सकता है और वह माँ की गंध पहचानता है।
पहले महिने में शिशु का विकास
Baby development in first month hindi me
पहले महीने में शिशु का चेहरा बदलने के साथ ही उसकी इन्द्रियां यानि देखने , सुनने आदि का विकास होता है। इसके अलावा वह अंगों का संचालन सीखता है। जन्म लेने के बाद उसका वजन थोड़ा गिर सकता है लेकिन जल्दी ही यह बढ़ना शुरू हो जाता है। अतः शुरू के दिनों में उसके वजन कम होने की चिंता नहीं करनी चाहिए।
बच्चा किसी घंटी की आवाज पर चौंककर , रोकर या चुप होकर प्रतिक्रिया देने लगता है । एक महीने में सुनने की पूरी क्षमता विकसित हो जाती है। जिस तरफ से आवाज आती है उस तरफ सिर घुमा लेता है। उसे लोरी , गाने या हलका संगीत सुनाया जा सकता है। वह अलग आवाज पर अलग तरह की प्रतिक्रिया देने लगता है।
नवजात शिशु को बहुत धुंधला दिखता है। एक महीने का होने पर यह क्षमता कुछ सुधर जाती है। लेकिन एक महीने का होने के बाद भी उसे एक फ़ीट से ज्यादा दूर साफ नहीं दिखता ।
उसकी आँखें तो पूरी तरह विकसित हो चुकी होती हैं लेकिन दिमाग विकास की प्रक्रिया में होने के कारण उसे धुंधला दिखाई देता है।
उसके चेहरे के सामने अपना चेहरा रखकर उससे बातें करने से वो आपके हावभाव से सीखता है। लेकिन आप को पास आना होगा। नन्हा शिशु हिलने डुलने वाली चीजें देखने की कोशिश करता है। साफ देखने की कोशिश में उसकी आँखें कुछ अजीब दिखे तो चिंता नहीं करनी चाहिए। वो फोकस करने की पूरी कोशिश करता है।
उसे रंग दिखते तो हैं लेकिन धुंधले से। सफ़ेद और काले रंग वाले खिलोने देखने में उसे आसानी होती है।
उसे अपने हाथ और पैर के अस्तित्व का अहसास होने लगता है। कभी कभी गलती से खुद को चोट पहुँचाना भी इसका जरिया बनता है। गर्दन अभी कमजोर होती है। पेट के बल लिटाने पर वो हल्का सा सिर उठा सकता है। गर्दन दाएं बाएं घुमा सकता है।
दूसरे महिने में बच्चे का विकास
Child development in second month hindi me
दूसरे महीने में आप उसे मुस्कराता हुआ देख पाते हैं। उसके होठो पर एक तिरछी मुस्कान दिखाई दे सकती है।
रंग की पहचान अब उसे थोड़ी ज्यादा स्पष्ट होने लगती है। वह रंग में भेद करना शुरू कर देता है । उसे चटकीले रंग तथा आसानी से समझ में आने वाले आकार आकर्षित करते हैं। वह अब दो फिट तक देख सकता है ।
दो महीने में शिशु के सुनने की क्षमता अच्छी तरह विकसित हो जाती है। वो आपकी आवाज पहचानने लगता है। उनके साथ बातें करने या उन्हें लोरी आदि सुनाने से वो आपके ज्यादा करीब आता है और आपकी आवाज उसे तुरंत शान्ति महसूस कराने लगती है।
इस समय उसके हाथ पैर अच्छे से चलने लगते हैं। लेटे हुए उसे पैर चलाने में मजा आने लगता है। वह अपने हाथ भी चलाता है। पेट के बल लिटाने पर थोड़ी देर गर्दन उठा भी सकता है। करवट लेना शुरू करने की कोशिश करने लगता है। इधर उधर खिसकने लगता है। शिशु अब मुट्ठी खोलना और अंगुलियां चलाना सीख जाता है।
दो महीने का होने पर लार ग्रंथि विकसित होती है और मुंह से लार टपकनी शुरू हो जाती है। लार में बैक्टीरिया नष्ट करने की क्षमता होती है। शिशु अब थोड़ी लम्बी नींद लेने लगता है। परन्तु अभी भी वह आपको आधी रात को भी जगा सकता है।
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