करवा चौथ Karva Chauth का व्रत और पूजन कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। इसे करक चतुर्थी भी कहते है। करवा या करक मिट्टी के छोटे घड़े को कहते है जिसके द्वारा चाँद को अर्ध्य दिया जाता है।
यह चौथ शरद पूर्णिमा के बाद आने वाली चौथ होती है। पंजाब , उत्तर प्रदेश , राजस्थान , हरियाणा , मध्य प्रदेश राज्यों का यह प्रमुख त्यौहार है। गुजरात , महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में यह दिन आश्विन महीने में पड़ता है।
इसी समय खरीफ की फसल तैयार होने से इस त्यौहार की उमंग बढ़ जाती है। करवा चौथ महज एक व्रत नहीं है, बल्कि सूत्र है, विश्चास का कि पति पत्नी हमेशा साथ रहेंगे, आधार है जीने का कि उनका साथ कभी ना छूटे। इस वर्ष करवा चौथ की तारीख Karwa Chauth Date और पूजन का समय इस प्रकार है :
Karva Chauth 2022 Date
करवा चौथ की तारीख
13 अक्टूबर , गुरुवार
Karva Chauth 2022 Pooja Shubh Muhurat
करवा चौथ पूजन का शुभ समय
शाम 5:54 से 7:03 बजे तक ( एक घंटा नौ मिनट )
करवा चौथ के दिन चाँद दिखने का समय
Karwa chauth Ke Din Chand Nikalne Ka Time
रात को 8 : 10 बजे
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करवा चौथ के दिन क्या करते है – How To Celebrate
Karwa Choth kaise manate he
करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के स्वास्थ्य और लम्बी उम्र की मंगल कामना में व्रत रखती है। इस व्रत की शुरुआत भोर होने के साथ ही हो जाती है। व्रत करने वाली महिला घर का कोई काम नहीं करती।
कृपया ध्यान दें : किसी भी लाल अक्षर वाले शब्द पर क्लीक करके उस शब्द के बारे में विस्तार से जानिए।
इस व्रत में सूर्योदय के पश्चात न कुछ खाया जाता है न पिया जाता है। यहाँ तक कि एक घूँट पानी भी नहीं पीते है। महिलाएं मेहंदी लगाती है , सजती संवरती है। दोस्त और परिवार वालों से मिलना मिलाना चलता रहता है।
( इसे भी जरूर पढ़ें : करवा चौथ का सोलह श्रृंगार क्यों और कैसे )
रात को चाँद दिखने पर उसे अर्ध्य chand ko ardhy देने के बाद व्रत खोला जाता है। इसे चाँद को अरग देना chand ko arag dena या चाँद को अर्क देना chand ko ark dena भी कहते है।
अलग अलग जगह और परिवार की हिसाब से रीती रिवाज कुछ बदल जाते है। कुछ परम्पराएँ इस प्रकार है :
सरगी में क्या खाएँ – Sargi food
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नाश्ता करते है जिसे सरगी Sargi कहते है। सरगी में सूत फीणी Soot Feni जरूर शामिल होती है। इसे दूध के साथ लेते है। इसे खाने से पानी नहीं पीने के कारण होने वाली परेशानी कम हो जाती है।
कुछ जगह सरगी में सात , नौ या ग्यारह प्रकार की चीजें लेते है। सरगी में खाने की सामग्री ( Sargi me khane ki samagri ) में बादाम , काजू , किशमिश , अंजीर , आदि मेवे तथा फल , पराठे , मठरी , दूध व छेने से बनी मिठाइयाँ आदि शामिल किये जाते है।
रिवाज के अनुसार सरगी बहु के लिए सासु माँ द्वारा भेजी जाती है। सासु माँ घर पर हो तो बहु के लिए वे ही सरगी तैयार करती है। कुछ लोग करवा में चूड़ियां , हेयर बैंड , काजल , बिंदी , सोलह श्रृंगार के सामान , मिठाई , कपड़े आदि रखते है तथा एक दूसरे के घर जाकर उपहार के तौर पर देते है।
शाम के समय महिलाएं सुन्दर और नए कपडे , गहने आदि पहन कर तैयार होती है। किसी किसी जगह शादी वाले कपड़े पहने जाते है। लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
इस त्यौहार का उद्देश्य गीत गाकर बताया जाता है। जिसमे इस दिन कपड़ा सिलने या बुनने के लिए मना किया जाता है। गीत गाकर रूठे हुए को मनाने और सोये हुए को उठाने ( कार्यरत होने ) का सन्देश दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश में बुजुर्ग महिला वीरवती की कहानी सुनाती है। शंकर , पार्वती और गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर शुद्ध कपडे जेवर आदि पहनाकर भक्ति भाव से पूजा की जाती है। करवा की सात बार अदला बदली की जाती है। साथ ही गीत गाया जाता है —
” सदा सुहागन करवा लो … पति की प्यारी करवा लो … सात भाइयों की बहन करवा लो ….
व्रत करनी करवा लो … सास की प्यारी करवा लो …”
करवा चौथ के गीत गाए जाते है। पूजा की थाली के फेरे लगाये जाते है।
इसके बाद चाँद का इंतजार किया जाता है।
बयाना निकालकर सासु , ननद या जेठानी को दिया जाता है।
करवा चौथ की पूजा विधि – Karva Chauth Pooja Vidhi
इस व्रत में शिव-पार्वती , कार्तिकेय , गणेशजी और चाँद का पूजन किया जाता है। पूजा के लिए पाना या चित्र बाजार में मिल जाता है।
पूजा करने की विधि इस प्रकार है :
— एक पाटा धोकर शुद्ध करें ।
— इस पर कुछ गेहूं के दाने रखें ।
— अब इस पर पूजा के लिए चौथ माता का पाना रखें ।
— एक मिट्टी के करवे पर मौली बांधकर रोली से एक सातिया बनाएँ ।
— उस पर रोली से तेरह बिंदी लगाकर चाँद को अर्ध्य देने के लिए जल भर दें ।
— उस पर एक खाली दीपक या प्लेट रखकर उसमें दो बोर , एक कांचरी , दो चोले की फली , आंवला , सिंघाड़ा , एक फूल , आदि रखें ।
— फिर एक दूसरी प्लेट में रोली , मौली , गेहूं के दाने , गुड़ , मेहंदी लें और एक लोटा जल से भरकर रखें ।
— लोटे पर मोली बांधकर सातिया बनाएँ ।
— चौथ माता को रोली , मोली , अक्षत , फूल , मेहंदी आदि अर्पित करके पूजा करें और गुड़ का भोग लगाएं ।
— अपने माथे पर रोली से टीकी करें ।
— हाथ में गेहूं के तेरह दाने लेकर करवा चौथ की कहानी सुनें ।
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करवा चौथ की कथा कहानी , वीरवती की तथा अन्य
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— इसके बाद विनायक जी की कहानी सुने ।
— कहानी सुनने के बाद गेहूं के कुछ दाने लोटे में डाल दें । कुछ दाने साड़ी के पल्लू में बांध लें ।
— पल्लू में बंधे हुए गेहूं के दाने रात में चाँद को अर्ध्य देते समय हाथ में रखते है।
— लोटे का जल सूरज को देते है ।
— एक थाली में फल , मिठाई आदि रखते है और शक्कर के करवे में चावल भरते है इसे भी थाली में रखते है , कुछ रूपये रखकर इसे बायना ( Bayna ) के तौर पर सासु , ननद या जेठानी को देते है ।
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चाँद निकलने पर क्या करें – After Moon Arise
रात को चाँद निकलने पर चाँद की पूजा करने के बाद ही व्रत खोला जाता है।
चाँद निकलने पर चाँद को अर्क दिया जाता है , उसकी पूजा की जाती है। चाँद को जाली में से या दुपट्टे में से देखते है। फिर इसी तरह पति को भी देखते है ।
इसके बाद पति अपनी पत्नी को थाली से जल का लोटा उठाकर उससे पहला घूंट पानी का पिलाते है। फिर खाने के लिए पहला निवाला देकर व्रत खुलवाते है। इसके बाद व्रत करने वाली महिला भोजन करती है ।
आजकल पति भी पत्नी का साथ देते हुए इस दिन व्रत रखने लगे है। पति का व्रत रखना पत्नी के प्रति प्रेम जाहिर करता है। इससे पति पत्नी का आपसी प्रेम और विश्वास बढ़ता है । यह पति पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करता है।
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