गेहूं Wheat एक ऐसा अनाज है जो दुनिया भर में पोषण के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार के रूप में खाया जाता है। काम करने के लिए हमें ऊर्जा की जरुरत होती है। यह ऊर्जा अनाज के रूप में किये भोजन से निरंतर प्राप्त होती रहती है।
अनाज के रूप में गेहूं के अलावा चावल ,जौ , मक्का , बाजरा आदि का उपयोग भी उपलब्धता के अनुसार खाने के लिए किया जाता है। शरीर को ऊर्जा के अलावा कई प्रकार के प्रोटीन , विटामिन तथा खनिज आदि की भी आवश्यकता होती है।
गेहुं में पाए जाने वाले प्रोटीन , विटामिन तथा खनिज उच्च गुणवत्ता वाले तथा पर्याप्त मात्रा में होते है जो हर प्रकार से शरीर को स्वस्थ रखने में सक्षम होते है। इसीलिए दुनिया भर में गेहूँ Wheat का भोजन के रूप में दैनिक उपयोग बढ़ता जा रहा है।
कृपया ध्यान दे : किसी भी लाल रंग से लिखे शब्द पर क्लीक करके उसके बारे में विस्तार से जान सकते हैं
गेहुँ के पोषक तत्व – Wheat Nutrients hindi me
गेहूँ के दाने में छिलका Bran , जर्म Germ और एण्डोस्पर्म नामक हिस्से होते है। ये सभी हिस्से पोषक तत्वों से भरपूर होते है। इसे पीसने के बाद भी इसमें ये पोषक तत्व बने रहते है। गेहुं में दूसरे मुख्य अनाज मक्का और चावल से ज्यादा प्रोटीन होता है।
इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर , कई प्रकार के विटामिन जैसे थायमिन , नियासिन, विटामिन बी 6 , रिबोफ्लेविन , पैण्टोथेनिक एसिड , फोलेट तथा खनिज के रूप में मैगनीज और सेलेनियम प्रचुर मात्रा में होते है।
इसके अतिरिक्त Wheat में कॉपर , जिंक ,फास्फोरस , आयरन , मैग्नेशियम , पोटेशियम तथा विटामिन “ई ” , विटामिन “के” भी पर्याप्त मात्रा में होते है।
गेहूँ Wheat की कई किस्म होती है। कुछ किस्म लाल भूरे रंग की होती है। इन्हें काठे गेहूं के नाम से जाना जाता है। यह रंग इसमें मौजूद फेनोलिक कंपाउन्ड के कारण होता है। इसमें एक अलग ही मीठा स्वाद होता है। गेहुं से आटा , मैदा , सूजी ,दलिया बनाये जाते है और इनसे कई प्रकार की चीजें बनाई जाती है।
गेहुँ का उपयोग – Wheat Uses in hindi
गेहूं Gehu को दुनिया भर में अलग अलग तरीके से काम लिया जाता है। इसके उपयोग से ब्रेड, पास्ता, बर्गर, केक , कुकीज़ , बिस्किट , नूडल्स आदि बनाये जाते है। हमारे यहाँ गेहूं से चपाती , बाटी , परांठे , कचोरी , समोसा , उपमा आदि बनाये जाते है। गेहूं उपयोग करने के कुछ तरीके इस प्रकार है :
गेहूँ का दलिया – Gehu ka Daliya
गेहूं के छोटे टुकड़ों को पानी के साथ पका कर खाया जाता है। इसे दलिया कहते है। यह Gehu के उपयोग का सबसे अच्छा तरीका होता है ।
छिलके ( bran ) इसी में सबसे अधिक होते है। छिलको में अधिकतम पोषक तत्व होते है। यह दलिया बहुत सुपाच्य होता है। पचने में हल्का होने के कारण बीमार व्यक्ति को भी दलिया खाने के लिए दिया जा सकता है। दलिया में पकाते समय मूंग की दाल व सब्जी काटकर डाली जा सकती है जिससे उसकी पौष्टिकता और बढ़ जाती है।
सूजी – Sooji
आटे से मोटा और दलिया से बारीक़ पिसा हुआ गेहुं सूजी कहलाता है। इसे कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है। सूजी से बना हलवा एक स्वादिष्ट मिठाई की डिश के रूप में बहुत लोकप्रिय है। इसके अलावा सूजी का उपयोग केक , इडली , उत्तपम , डोसा , बिस्किट , कुकीज़ आदि बनाने के लिए किया जाता है।
गेहुँ का आटा – aata
गेहुँ से हमारे यहाँ मुख्य रूप से रोजाना रोटी Roti बनाई जाती है। रोटी हमारे भोजन का अति आवश्यक हिस्सा बन चुकी है। इसे खाये बिना लगता ही नहीं कि भोजन किया है।
रोटी बनाने के लिए गेहुं को पीस कर आटा बनाया जाता है। आटे को पानी के साथ गूंथ लेते हैं। फिर इसे बेल कर रोटी बनाई जाती है। गेहुं में ग्लूटेनिन नामक प्रोटीन होता है जो भीगने के बाद ग्लूटिन में परिवर्तित हो जाते है। इसी के कारण आटे में लोच aate me loch पैदा होता है जिसके कारण इससे नर्म रोटी और ब्रेड आदि बन पाते है।
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गर्म रोटी पर घी लगाकर इसे सब्जी , दाल , दही आदि के साथ खाया जाता है। रोटी पर घी लगाकर खाने से गेहूं में मौजूद सभी पोषक तत्व शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित किये जाते है। रोटी बनाने के लिए पुराने गेहूं अच्छे होते है।
नए गेहूं की रोटी से कफ पैदा होता है। रोटी बनाने के लिए आटे को छानना नहीं चाहिए। क्योकि छानने से चोकर के साथ बहुत से महत्वपूर्ण पोषक तत्व निकल जाते है। चोकर सहित मोटे आटे की रोटी खाने से कब्ज दूर होती है।
चोकर को 10 घंटे पानी में भिगो कर छानकर यह पानी पीने से अरुचि , अजीर्ण , मंदाग्नि आदि दूर होते है। इससे चर्म रोगों में भी आराम मिलता है।
मैदा – Maida
गेहूं का यह सबसे बारीक पिसा हुआ रूप है। इसका पाचन मुश्किल से होता है। इसमें पोषक तत्व बहुत कम होते है। इसे सिर्फ स्वाद की दृष्टि से उपयोग में लाया जाता है। मैदा Maida से बने तले हुए सामान जैसे कचोरी , समोसा या मैदा से बने पिजा बर्गर आदि स्वाद के कारण लोकप्रिय है , परंतु ये शरीर के लिए नुकसानदेह होते है।
अंकुरित गेहुँ – Ankurit gehu
गेहूं को पानी में भिगोकर अंकुरित Sprout किया जा सकता है। अंकुरित होने पर गेहूं के पोषक तत्व कई गुना बढ़ जाते है। विशेष कर विटामिन बी , विटामिन सी तथा विटामिन इ में कई गुना वृद्धि हो जाती है।
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गेहूं को अंकुरित करने के लिए गेहूं को धोकर 12 घंटे के लिए पानी में डालकर रखें। इसके बाद इन्हे पानी में से निकाल कर एक सूती कपडे में बांधकर ढ़ककर रख दें। 15 – 18 घंटे बाद इनमे अंकुरण निकल आता है।
स्वाद के लिए नींबू और नमक मिर्च आदि मिलकर खायें। अन्य तरीका यह है कि इसे पानी के साथ पीस कर छान लें। यह गेहूं का दूध है। इसे पीने से प्रमेह , वीर्य स्खलन , नपुंसकता , शीघ्रपतन आदि दूर होते है और शुक्राणु में बढ़ोतरी होती है।
गेहुँ के जवारे का रस – Gehu ke Jaware
गेहूं के ज्वारे का रस देश विदेश में अपनी पहचान बना चुका है। इस रस में कैंसर जैसे खतरनाक रोग को भी मिटाने की क्षमता को स्वीकार किया गया है। ज्वारे के रस में रक्त जैसे ही गुण होते है।
गेहुं के जवारे का रस बनाने के लिए गेहूं को पानी में 8 -10 घंटे भिगो दें। इसके बाद बाद इन्हें मिटटी में एक से.मी. की गहराई पर बो दें। तीन चार दिन में अंकुरण निकल आते है। 8 -9 दिन में पत्ते रस निकालने लायक हो जाते है।
इन्हें काटकर पीस लें और इनका रस निकाल कर पियें। इसमें क्लोरोफिल , आयरन , अनेक प्रकार के एंजाइम , तथा विटामिन पाए जाते है। इस रस में बिना कुछ मिलाये उपयोग में लेना चाहिए।
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