डस्ट माइट से एलर्जी क्यों क्या और कैसे – Dust Mites and allergy

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डस्ट माइट Dust Mites के नाम से ऐसा लगता है जैसे ये बाहर धूल मिट्टी में रहने वाले कीड़े हों लेकिन ये हमारे घर में रहने वाले बहुत सूक्ष्म जीव हैं । आइये जानें इनसे हमें क्या खतरा होता है।

डस्ट माइट का भोजन हमारी कोशिकाएँ

Our dead cells food of dust mites

डस्ट माइट्स इंसान के शरीर से गिरने वाली मृत कोशिकाओं पर जीवित रहते हैं। डेड सेल्स से इन्हे भोजन प्राप्त होता है। डस्ट माइट के कारण एलर्जी , अस्थमा , स्किन डिज़ीज तथा अन्य कई प्रकार की परेशानी हो सकती हैं।

हमारी त्वचा से हर घंटे लगभग 40000 मृत कोशिकाएं Dead Cells गिरती है। 24 घंटे में लगभग दस लाख। साल भर में लगभग 3 .5 किलो मृत कोशिका हमारे शरीर से झड़ती हैं।  [source: Boston Globe]

मन में सवाल उठता है कि इतनी सारी कोशिका झड़ती है तो वो जाती कहाँ है ? असल में आप जो धूल के कण टीवी , लेपटॉप , टेबल , फर्नीचर , दीवार घडी या तस्वीर आदि पर देखते हैं वो अधिकतर ये मृत कोशिकाएँ ही होती हैं। इन्ही से घर में रहने वाले करोड़ों डस्ट माइट को भोजन प्राप्त होता है।

शरीर की मृत कोशिका फर्श , कारपेट या बिस्तर आदि पर गिरती रहती हैं। नमी और गर्मी से उसमें फफूंद पैदा हो जाती है। इस फफूंद के कारण पैदा होने वाली सड़न ही डस्ट माइट का भोजन होता है।

डस्ट माइट घर में ज्यादा कहाँ

where dust mites more in house hindi me

डस्ट माइट घर के प्रत्येक हिस्से में होते हैं लेकिन सोने के कमरे Bedroom में सबसे ज्यादा होते हैं क्योकि वहाँ हमारा अधिक समय गुजरता है। बैडरूम  में मौजूद सभी सामान जैसे मेट्रेस , ओढ़ने और बिछाने की चादर , तकिये , कारपेट , पर्दे , फर्नीचर आदि में ये मौजूद हो सकते हैं।

डस्ट माइट यदि एलर्जी का कारण नहीं बने तो इनके होने का पता ही नहीं चलता। लेकिन ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिन्हे इनके कारण एलर्जी होती है और उन्हें बहुत सी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

अक्सर छींके आना , ऑंखें लाल होना उनमे जलन होना , गले में चुभन , नाक बहना या बंद हो जाना , दम चढ़ना , स्किन पर रेशेज और एक्जिमा आदि होने का कारण ये सूक्ष्म जीव हो सकते हैं ।

बच्चों पर इसका असर अधिक हो सकता है। सॉफ्ट टॉयज में डस्ट माइट अधिक हो सकते है। बच्चे सॉफ्ट टॉयज के साथ सोते हो तो उन्हें एलर्जी हो सकती है।

क्या डस्ट माइट के काटने से एलर्जी होती है

Is allergy reason of dust mite bite

जी नहीं ! डस्ट माइट काटते नहीं हैं। फिर डस्ट माइट से एलर्जी कैसे होती है , इसका वैज्ञानिकों ने पता लगाया है। असल में डस्ट माइट का मल ( टट्टी ) एलर्जी का कारण होता है। डस्ट माइट के मल में एक ऐसा एंजाइम होता है जो इंसान के शरीर की नर्म कोशिकाओं Cells के आपसी बंधन को तोड़ देता है ।

ये नर्म कोशिकाएँ नाक , फेफड़े के अलावा या अन्य जगह भी हो सकती हैं। मल का यह एंजाइम शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।

शरीर इसे बाहरी आक्रमण की तरह समझ कर तेजी से प्रतिरोध करता है। किसी किसी के शरीर का प्रतिरोध आवश्यकता से इतना अधिक हो जाता है उसके कारण हमारी स्वस्थ कोशिकाएँ Cells भी नष्ट होने लगती है। यह नुकसान एलर्जी के लक्षण के रूप में सामने आता है।

इस प्रकार डस्ट माइट एलर्जी का कारण बनते हैं। कुछ लोगों पर डस्ट माइट से एलर्जी या कोई अन्य किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है ।

डस्ट माइट से कैसे बचें

Dust mites se bachav hindi me

नियमित रूप से कुछ उपाय करके इनसे बचाव किया जा सकता है । डस्ट माइट बहुत कम या अधिक तापमान पर नष्ट हो जाते हैं। साफ सफाई का ध्यान रखने और नमी को कंट्रोल में रखने से इनकी संख्या कम की जा सकती है।

50% से कम नमी होने पर डस्ट माइट कम हो जाते हैं। खिड़की खुली रखने से , धूप लगने से नमी कम हो सकती है। ये  21°C से अधिक तापमान में फलते फूलते हैं ।

बिस्तर और तकिये के कवर की नियमित धुलाई करनी चाहिए। हो सके तो इन्हे गर्म पानी से धोना चाहिए। पानी गर्म नहीं होने पर कीड़ों का मल तो साफ हो जाता है लेकिन कीड़े नहीं मरते। पानी का तापमान 55°C से अधिक होना चाहिए।

सोने के कमरे में कारपेट आदि ना रखें। मेट्रेस पर चद्दर सुबह ना लगायें। दिन भर खुला रहने से मेट्रेस को हवा लगेगी और नमी कम होगी।

मेट्रेस और तकिये पर एलर्जी प्रूफ कवर लगाए जा सकते हैं। ये डस्ट माइट को रोक देते हैं।

यदि तकिया गर्म पानी में नहीं धो सकें तो एक साल में बदल लेना चाहिए।

इसके लिए अल्ट्रावॉइलेट UV Bed cleaner बेड क्लीनर भी काम लिए जा सकते हैं जो कीड़ों को नष्ट कर सकते हैं फिर उन्हें झाड़ कर या वैक्यूम क्लीनर से साफ किया जा सकता है।

गलीचे , कालीन , दरियां आदि में डस्ट माइट अधिक होते हैं। इन्हे बैडरूम में ना रखें।

गीले कपड़े से पौंछा लगाने से डस्ट माइट कम होते है।

पतला फ़िल्टर मास्क पहनने या कपड़े से नाक को ढकने से एलर्जी में आराम मिल सकता है।

परदे धुलने लायक कपड़े के होने चाहिए। इन्हे गर्म पानी से धोना चाहिए जो 55°C से अधिक तापमान का हो ।

तेज सर्दी इनसे बर्दाश्त नहीं होती है। यदि सॉफ्ट टॉयज जैसी चीजों को धो नहीं सकते तो एक दो दिन इन्हे डीप फ्रिज में रखने से सारे माइट मर सकते हैं। इसके लिए टॉयज को सील बंद किये जा सकने वाले प्लास्टिक बैग में रखकर दबाकर हवा निकाल दें फिर फ्रिज में रख दें।

कमरे में एयर फ़िल्टर लगाने से एलर्जी की समस्या कम हो सकती है लेकिन फ़िल्टर सही कैपेसिटी वाला होना चाहिए।

कमरे में जितना संभव हो सामान कम रखें ताकि धूल मिट्टी न जमे। बेड के बगल में रखी पुरानी मैगजीन , किताबें , दवाइयां आदि हटा दें।

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